डॉ. गौरव कबीर |
क्या आप जानते
हैं वो कौन है जिसका बुरा मूड आप को सब से ज्यादा डराता है???
बीबी ??? न जी
ना ! वो तो देवी है ...!
गर्ल फ्रेंड??? ... बिलकुल
नहीं जी! वो तो अप्सरा है
...!
काम वाली बाई ? .... हाँ कभी कभी
उसका मूड भी डराता है |
पर सब से
ज्यादा जिस इंसान का मूड डराता है वो होता है आप का नाई/ हैयर ड्रेसर /
बार्बर ...!
ये नाई व्यक्तिगत
रूप से बहुत अच्छे होते हैं पर बुरे मूड मे एक नाई आप के बालों और आप के चेहरे के
साथ ऐसा खिलवाड़ कर सकता है की आप के फेस का फ़ेसबुक बन जाए और
पर्सनलिटी की तो बस 'बीप बीप बीप’ हो जाए | इसीलिए जब भी इनके पास जाएँ तो पहले इनके
मूड और माहौल का अंदाज़ा लगा लेना चाहिए | कहावत जानते हैं न कि “दुर्घटना
से देर भली”, इसलिए कहता
हूँ भले ही अगले दिन वापस आना पड़े पर उस्तरे के नीचे गर्दन/ सर देने से पहले इनके मूड
के बारे संतुष्ट होना बेहद जरूरी है |
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यूं तो रविवार
हिंदुस्तान में नाइयों के लिए सब से अच्छा दिन माना जाता है, पर फर्ज़ करिए कि एक रविवार वो नई जिस से आप सालों से बाल कटवाने जाते हों, अपनी बेगम से
किसी बेहद मामूली सी लगने वाली वजह लड़ कर आया हो या सुबह-सुबह
उसके मासूम बच्चों ने कोई ऐसी चीज़ लाने को कहा हो जो उसकी औक़ात/कुव्वत के बाहर हो और
अपने बच्चों को उनकी मनचाही चीज़ न दिला पाने से ये मजबूर सा नाई उदास हो | होने को
तो ये भी हो सकता है कि उसके मकान के सामने वाली नाली पड़ोसी ने बंद कर दी हो और
उसकी कहा-सुनी हो गयी हो | हमारे चाचा हुज़ूर
फरमाते थे कि-गरीब आदमी का
मूड जल्दी खराब नहीं होता , उसे सब कुछ सहने की आदत जो होती है ! पर अगर मूड खराब ही हो जाए , तो क्या करे बेचारा ...? कहाँ निकाले अपनी खीझ ? कैसे ठीक हो उसका मूड ?
किसी एक रविवार आप
की मुठभेड़ ऐसे ही किसी बुरे
मूड वाले नाई से हो जाए तो बस अपना कल्याण ही समझिए | उसके खराब मूड का आपकी ज़िंदगी पर क्या असर होगा इसका सिर्फ भगवान ही मालिक
हो सकता है | उसकी कैंची अगर बराबर नहीं चली तो
बाल तो नुचेंगे ही और बालों का क्या हाल होगा वो तो बस आईना ही बता सकता है | उसके बुरे मूड की वज़ह से कैंची इतनी बेरहमी से चल सकती है कि बाल बेतरतीब
कट सकते हैं ,ये भी हो सकता है कि आपके सर पर उस्तरा
चलाने की नौबत आ जाए |
आपकी हालत क्या होगी इसका अंदाज़ा
तो आप खुद लगा सकते हैं | आप बे-मौसम और बिना मर्जी टोपी पहन कर घूमेंगे ... लोगों से अपना चेहरा छुपाते फिरेंगे... आप का खून खौलता रहेगा, सामने वाले का खून पी जाने का मन करेगा ... मन ही मन आप उस नाई को लानते
और गलियाँ देंगे , पर बेबसी ऐसी कि चाह कर भी कुछ
नहीं कर पाएंगे ... ये एक ऐसा ज़ख्म होता है जो समय के अलावा कोई और नहीं भर
सकता, शायद इसीलिए समय को सबसे ज्यादा बलवान भी माना
जाता है |
अगले कई दिनों
तक आप को देख कर बीबी, बच्चे, दोस्त, आप की
कॉलोनी और आप के ऑफिस के लोग मुसकुराते रहेंगे ... और तो और दूध वाला भैया , आप की काम काम वाली बाई , सब्जी वाला, सड़क पर चलते लोग भी हँसेंगे | कुल मिला कर
आप मनोरंजन का एक पारिवारिक और सस्ता सा कार्यक्रम बन कर ही रह जाते हैं |
समय बीतने के
साथ ये ज़ख्म भर तो जाएगा ...आप के बाल भी बड़े हो जाएंगे ... पर फिर एक दिन किसी
रविवार को आप किसी नाई के सामने सिर झुकाये हलाल होने बैठे होंगे... और
पिछला पूरा समय किसी फिल्म की माफिक आप की आंखो क सामने से गुजरेगा ... खुद का खोया
हुआ आत्मविश्वास याद आएगा , लोगों की वो उपहास
उड़ाती हंसी याद आएगी, माथे पर चिंता की लकीरें उभर
आएंगी और आप के सामने खड़ा नाई कुटिल सी हंसी
हँसता हुआ मन ही मन कह रहा होगा कि,
“ बेटा
हो जाओ तैयार छीला हुआ मुर्गा बनने के लिए...तुम ही तो
हो मेरे स्ट्रैस बस्टर !!! "
लेखक परिचय :
डॉ. गौरव कबीर
मूलतः गणित और संख्या से खेलते हैं, गणितीय सांख्यिकी में शोध किया है, पर इनके भीतर कहीं बसता है एक साहित्यिक रसिक ! सिनेमा , पढ़ाई और घूमने फिरने के शौक़ीन हैं ! फिलहाल गोवा इनका ठिकाना है।
gauravkabeer1703@gmail.com
डॉ. गौरव कबीर
मूलतः गणित और संख्या से खेलते हैं, गणितीय सांख्यिकी में शोध किया है, पर इनके भीतर कहीं बसता है एक साहित्यिक रसिक ! सिनेमा , पढ़ाई और घूमने फिरने के शौक़ीन हैं ! फिलहाल गोवा इनका ठिकाना है।
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