साभार: Whatsupic |
दर्द कितना दर्दनाक हो सकता है, इसका एहसास सबका अपना अपना है.
एक फ़ौजी घायल हो जाता है, दोनों कंधे बुरी तरह फट गए हैं. डॉक्टर ईलाज कर रहे हैं. दिल्ली के मिलिटरी हस्पताल में भर्ती वह फ़ौजी जबसे दाखिल हुआ है वार्ड में बुरी तरह दर्द से कराह रहा है. दर्द इतना है कि वह लगातार चिल्लाये जा रहा है, गला सूखने तक तड़पता है. पानी का एक कतरा निगलने के बाद फिर बेतहाशा चिल्लाने लग जाता है.
डॉक्टर ने दर्द के लिए इंजेक्शन तो दी है पर लगभग बेअसर है और एक मात्रा से अधिक दी नहीं जा सकती दवा भी. तीन दिन, तीन रात से वह चिल्लाये जा रहा है. सीमा से अधिक संघर्ष उसे इस दर्द से जूझने में करना पड़ रहा. बाकी मरीज फ़ौजी जिन्हें अलग-अलग घावों के ईलाज में यहाँ भर्ती किया गया है, वे इस जवान के दर्द में अपना दर्द भूल गए हैं और उनके परिजन गनीमत के लिए ईश्वर को धन्यवाद कर रहे हैं.
एक साल ही हुए शादी को, पत्नी गर्भवती है, बार-बार पति की दुर्दशा देखकर बेहोश हुए जा रही इसलिए जबरन उसे घर वापस भेज दिया गया है. बुढा बाप सिरहाने बैठा लगातार रोये जा रहा है, छोटा बेटा भागदौड़ कर रहा है. उस वार्ड के मरीज रात भर सो नहीं पाए हैं उन तीन दिनों में. वो फ़ौजी कराहे जा रहा है. उसके दर्द का अनुमान लगाना मुश्किल है. कोई अनुमान लग भी जाये तो वह भी बेहद दर्दनाक होगा.
चौथी सुबह जब उसे बाथरूम ले जाया जा रहा था, तो वापसी में उसने ऊपर एक किनारे से नीचे छलांग लगा दी, इस उम्मीद में कि मरने के बाद यकीनन दर्द भी मर जायेगा. उसे बचा लिया गया है, उसके कुल्हे टूट गए हैं, अब वह लेट भी नहीं सकता. दर्द से बिलबिलाता वो कई बार बेहोश हो चुका है.
सियासत ने शांति के सारे दरवाजे बंद कर अगले युद्ध की तैयारी शुरू कर दी है.
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