älmə ˈmädər
एक बड़ी खास उमर में हम विश्वविद्यालय/कॉलेज में कदम रखते हैं। उम्मीदों के पर बाँधें, जोश की जोड़ी क़दमों में दुनिया नापने की ज़िद तोलने टटोलने की जगह है विश्वविद्यालय। कितना कुछ यहीं सीखते हैं जिसका ग्रामर ताउम्र काम आता है। उन दिनों को याद करना केवल नॉस्टेल्जिक हो जाना भर नहीं है, बल्कि उसी क्षण के मन में मगन होना जिससे आज के लिए भी जरूरी अगन बरबस मिल जाती है। आपके वे दिन नवोत्पल सुनकर यहाँ संजोना चाहता है, बस कलम चलाइये सहज और ईमेल कर दें: navotpal@gmail.com पर।
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