नवोत्पल गुरुवारीय विमर्श

 


Thursday, July 20, 2017

#37# साप्ताहिक चयन '‘एक बात पूछना वह कभी नहीं भूलती.. कल आओगे न..! " / अभिनव उपाध्याय


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eyeshree
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 एक बात पूछना वह कभी नहीं भूलती..कल आओगे न..!

यह कहना उसके लिए  
मुश्किल था कि वह मुझे  
याद रखती है पांचो वक्त नमाज की तरह,
और कठिन था उसे यह कहना भी कि
आएगी वह मुझसे  
मिलने मंदिर में आरती के वक्त।

लेकिन आसान था उसे कहना 
कि सफेद कुर्ते की सारी बटन बंद करना जरुरी नहीं
या छूटने दो क्लास
साइकिल इतनी तेज क्यों चलाते हो?
अगर पन्ने पर खिंच जाए तिरछी लाइन तो 
या हिसाब हो जाए गड़बड़ तो 
उसे नहीं लगती कहने में देर कि,
तुम अलजेब्रा में कभी उस्ताद नहीं  
हो सकते।

मेरी आंखे देखकर वह जान जाती है 
कितनी देर सोया हूं मैं।
अब, जब शहर के दंगे ने लगा दिया है ग्रहण,
वह देख लेती है मुझे ईद के चांद में 
और मैं जला लेता हूं उसके नाम का एक दिया...!

वह मुझसे नहीं कहती कभी खुलकर 
कि वह मुझे पसंद करने लगी है,
लेकिन..
उसे अच्छी लगती है मेरी शर्ट
मेरे बैग को छूकर वह बताती है उसकी खूबी।

उसे नहीं अच्छा लगता मेरा 
किसी और से हंस के बातें करना देर तक ।
मिलने के बाद वह नहीं भूलती पूछना 
कि कुछ खाया कि नहीं
अपना ख्याल रखा करो, कितना काम करते हो..!
और हां, सड़क पर संभल कर चला करो।
एक बात पूछना वह कभी नहीं भूलती...
कल आओगे न!

अभिनव उपाध्याय
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अभिनव उपाध्याय
तेज रिपोर्टिंग का दबावजीवन की आपा-धापीउठा-पटक और की-बोर्ड की खट-पट के बीचों-बीच जाने कैसे बचा लेते हैं, दिल्ली में लगभग एक दशक से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे अभिनव जी इतनी सी मासूमियत कि...उसका जिक्र रेशमी पन्नों पर गजब उकेर देते हैं...! सम्प्रति आप दैनिक जागरण में वरिष्ठ पत्रकार हैं।

उन बादलों की बात ही कुछ और जिनका इंतज़ार पहाड़ों की सुडौल चोटियाँ करती हैं, बादलों का इठलाना जायज है l उन तितलियों का इतराना बनता है जिनका जिक्र फूल उचक उचक कर करते हैं l उन नदियों के हर उफान का घमंड जायज है जिनके लिए महासागर की बाहें पुचकारती हैं l उस उमर के प्यार के हुलास की क्या तुलना जिसके आगे हर उल्लास फीका पड़ता है l 

यह कविता कितनी निर्दोष है, इसे पढ़ते-पढ़ते प्यार हो जाता है l इसे दो बार पढ़िए, फिर एक बार और पढ़िए; फिर देखिये दिल का टाइम मशीन बड़ी मासूमियत से कहाँ ले जाता है आपको !!!
***


19 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव!
    बढ़िया नवगीत!
    अभिनव उपाध्याय जी!
    ज़ाल-जगत पर आपका स्वागत है।

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  2. एक बात वह पूछना नहीं भूलती कल आओगे न ?????? सीधे दिल में उतर जाने वाले भाव है आपकी इस रचना के ..मासूम से सवाल हैं जो कई दिन तक याद रहेंगे ..

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  3. सहज भावों से सजी पंक्तियाँ. बधाई.

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  4. सुन्दर सरल शब्दो मे लिखी गयी कविता
    प्यारी लगी और हा
    उसके पूछने से पहले बोल दिया करे- कल आऊगा

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  5. स्वागत......बहुत अच्छी शुरुआत! हमारी बधाई आपके इस कदम पर साहित्यिक परिवार में आपकी दस्तक नया मौसम लेकर आये सुभकामनाओं सहित.....

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  6. कहे और अनकहे का संयोग आपके यहाँ
    दिखता है .
    भाई ये सब ऐसे अहसास हैं
    कि '' रहें सामने और दिखाई न दें ''
    सुन्दर ... ...

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  7. एक बात पूछना वह कभी नहीं भूलती...
    कल आओगे न...

    सच में एक पत्रकार और संवेदना का अद्भुत मिश्रण .....कोई बस संवेदना के इन पलों का आगे भी इंतज़ार रहेगा...

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  8. भाषा की प्रवाहमयता रम्य है !

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  9. एक बहुत ही योग्य कलम से लिखी गई योग्य कविता...... पसंद आनी ही थी...
    जय हिंद...

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  10. बहुत सुन्दर सहज अभिव्यक्ति देर से आने के लिये क्षमा चाहती हूँ बहुत बहुत बधाई

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  11. Sundar bhavon se saji kavita ke liye badhai.
    aapka blog bhi सुन्दरतम है!

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  12. bahut khub. keep it up.

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  13. shabdon ka chayan lajawab hai.. bhawnaon ke motiyon ko bahut saleekev se piroya hai aapne.. ek achchhi rachna ke liye badhai.

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  14. shabdon ka chayan lajawab hai.. bhawnaon ke motiyon ko bahut saleeke se piroya hai aapne.. ek achchhi rachna ke liye badhai..

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  15. कई दिनों बाद एक अच्छी कविता पढ़ी।
    बहुत सुन्दर !
    धन्यवाद !

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  16. kavita mae jaadu hota ... ye bhavnao ki adbhud abhivyakti hoti .. aap ki kavita se mere es visvas mae ejafa hua .. ati sundar

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  17. भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ..।

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  18. अच्छी कविता केवल महसूस करने के लिए होती है ...कुछ कह पाना थोडा मुश्किल सा हो जाता है

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