नवोत्पल की यात्रा में दिवस गुरूवार की अप्रतिम महत्ता है । अभी यह तय हुआ कि एक विशेष कविता चयनित की जाए और उसे एक विशिष्ट सम्पादकीय टिप्पणी के साथ प्रति गुरूवार प्रकाशित की जाय । अपनी स्वरचित रचनाएँ प्रेषित करें नवोत्पल के लोकप्रिय फेसबुक समूह पर।
यह नवीन प्रक्रम प्रारम्भ हुआ है, वह किसी परंपरा का अनुसरण नहीं है। यह सर्वथा नवीन है। नवोत्पल की इयात्तानुरूप इसमें यह देखने की कोशिश है कि कैसे दो अलग-अलग लोग एक कविता को देखते हैं। समीक्षा या आलोचना प्राथमिक उद्देश्य नहीं है; भिन्न दृष्टिकोणों की उपस्थिति का दर्ज होना अभीष्ट है। इस क्रम में आलोचना अथवा समीक्षा संभव हो तो परहेज नहीं। नवोत्पल किसी टिप्पणीकार से वे कसौटियां नहीं कहता जिनपे टिप्पणी की जानी है, ताकि दृष्टिकोण की शुद्धता बनी रहे। हमारे लिए वह सहज टीप महत्वपूर्ण है, जिसे पाठक ने पढ़ते ही महसूस किया, बस।
यह नवीन प्रक्रम प्रारम्भ हुआ है, वह किसी परंपरा का अनुसरण नहीं है। यह सर्वथा नवीन है। नवोत्पल की इयात्तानुरूप इसमें यह देखने की कोशिश है कि कैसे दो अलग-अलग लोग एक कविता को देखते हैं। समीक्षा या आलोचना प्राथमिक उद्देश्य नहीं है; भिन्न दृष्टिकोणों की उपस्थिति का दर्ज होना अभीष्ट है। इस क्रम में आलोचना अथवा समीक्षा संभव हो तो परहेज नहीं। नवोत्पल किसी टिप्पणीकार से वे कसौटियां नहीं कहता जिनपे टिप्पणी की जानी है, ताकि दृष्टिकोण की शुद्धता बनी रहे। हमारे लिए वह सहज टीप महत्वपूर्ण है, जिसे पाठक ने पढ़ते ही महसूस किया, बस।
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